गुरुवार, ५ सप्टेंबर, २०१९

लोनावला दर्शन/Lonavla Darshan


टाइगर्स लिप पॉइंट
भारत के पश्चिम तटीय प्रदेश के समानांतर दक्षिणी गुजरात से लेकर केरल तक ऊँचे-नीचे पर्वतों की विशाल शृंखला फैली हुई है. इसे ‘पश्चिमी घाट’ के नाम से भी जाना जाता है. महाराष्ट्र में इसी पर्वतीय क्षेत्र को ‘सह्याद्री’ कहते है. इस पर्वत की अनूठी जैव-विविधता के कारण इस पर्वत का कुछ क्षेत्र ‘विश्व धरोहर’ के रूप में भी संरक्षित किया जा चुका है. इस पर अनेक सुंदर-सुंदर प्राकृतिक-स्थल फैले हुए हैं, जिनमें तोरनमाल, भीमाशंकर, खंडाला, माथेरान, महाबलेश्वर, पंचगनी, कास पठार के साथ-साथ लोनावला का भी नाम लिया जाता है.
राजमाची पॉइंट
लोनावला महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे महानगरों के बीच स्थित छोटा सा नगर है, जो मुंबई से लगभग 96 तथा पुणे से 64 किमी की दूरी पर स्थित है. माना जाता है कि इस प्रदेश में फैली प्राचीन गुफाओं (जिन्हें मराठी में ‘लेणी’ कहा जाता है) के कारण इस स्थान को ‘लोणावळा’ (लोनावला) यह नाम पड़ा. वास्तव में इस प्रदेश में अनेक गुफाएँ खुदवाई गई हैं. कार्ला, भाजा, बेडसा, भंडारा डोंगर, घोराडेश्वर आदि गुफाएँ इसके प्रमाण हैं. इन गुफाओं का निर्माण भी लगभग दो हजार वर्ष पूर्व हुआ हैं. अनेक व्यापारियों ने इन बौद्ध-गुफाओं के निर्माण में अपना सहयोग दिया हुआ था.
इन गुफाओं के अलावा लोनावला शहर से लगभग 20 से 25 किमी की दूरी के अंदर अनेक प्राकृतिक स्थल फैले हुए हैं. इसलिए लोनावला के आस-पास के भू-दृश्यों को देखे बिना यह यात्रा पूरी नहीं होती.

लोनावला ही क्यों?


लोनावला को प्रसिद्धि मिलने के अनेक कारण बताये जा सकते हैं. इनमें महत्वपूर्ण हैं, यहाँ के भू-दृश्य, प्राकृतिक नज़ारे, मन को सहलाने वाली ठंडी-ठंडी हवा, वर्षा ऋतु में प्राप्त वर्षानंद, हरे-भरे वनाच्छादित जंगल, जल से लबालब भरे सरोवर, कल-कल बहते हुए झरने और इसमें स्थित प्राचीन इतिहास से संपन्न अनेकों स्थान आदि. इसलिए यह प्रदेश मुंबई के बॉलीवुड की दुनिया को भी लुभाता रहा है. अनेक भारतीय हिंदी एवं अन्य भाषाओँ की फिल्मों को यहाँ फिल्माया गया. इसकी प्रसिद्धि का एक और कारण इस स्थान की मुंबई और पुणे के बीच की भौगोलिक स्थिति का होना भी है. अंग्रेजों ने भी मुंबई को शेष महाराष्ट्र से जोड़ने के लिए इसी घाटी को सुविधाजनक समझा. यह स्थान ‘स्वर्णिम चतुर्भुज’ (Golden Quadrilateral) बैंगलोर-मुंबई राजमार्ग, पुराने मुंबई-पुणे राजमार्ग तथा एक रेल जंक्शन जो मुंबई और पुणे को जोड़ता है, के कारण भी पर्यटकों के लिए सुविधाजनक बना रहा.

लोनावला शहर

लोनावला शहर सह्याद्री पर्वत के एक कगार पर स्थित है. लोनावला की हवा स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है. शहर के आस-पास सरोवर तथा सुंदर-सुंदर बंगले हैं. लोनावला की मिठाई ‘चिक्की’ भी मशहूर है, यह गुड़ और मूंगफली, तिल, खोपरा, गुड़दानी तथा अन्य तरह-तरह की चीजों के मिश्रण से बनाई जाती है. शहर में स्थित सिद्धेश्वर मंदिर, रेडवुड पार्क, राजमाची पॉइंट, सेलिब्रटी वैक्स म्यूजियम, इमैजिका वाटर पार्क, कैवल्यधाम योग संस्थान आदि स्थल दर्शनीय एवं महत्वपूर्ण हैं. अन्य स्थलों को देखने के लिए आपको लोनावला शहर के बाहर आना होगा.

भूशी डैम और आस-पास का परिसर

लोनावला से सिटी लेक होते हुए ‘आईएनएस शिवाजी’ नामक स्थान की ओर जाते समय आप यहाँ पहुँच सकते हैं. यह लोनावला का एक मशहूर बाँध है. यही से ‘इंद्रायणी’ नामक प्रसिद्ध नदी का उद्गम होता है. वर्षा ऋतू के आगमन के साथ ही यह बाँध जल से लबालब भर जाता है और अतिरिक्त पानी बाँध से वहाँ बनी सीढ़ियों से बहने लग जाता है. वर्षा ऋतू में यहाँ प्रकृति अपने रंग बिखेरने लगती है. 
वर्षा के जल से सारी वादियाँ भर जाती हैं. हरियाली की मखमली चादर चारों और बिछ जाती है. तब तमाम दूर-दूर से पर्यटक यहाँ वर्षानंद हेतु पहुँचते हैं. चारों ओर बादलों की धुंध और वर्षा–धूप का लुका-छिपी का खेल शुरू हो जाता है. 

भूशी डैम
पर्यटक आनंद से सराबोर हो जाते हैं. इसी डैम की ओर जाते समय पहाड़ियों से बहते झरने एवं सिटी लेक का दृश्य मन को परमानंद की अनुभूति प्रदान कराता है. यहाँ भूशी डैम के ऊपर से बहने वाले जलप्रपात का विहंगम दृश्य भी काफी नयनाभिराम होता है.

टाइगर्स लिप पॉइंट

भूशी डैम के रास्ते से जाते हुए कुछ ही दूरी पर आगे पर्वत के माथे पर यह पॉइंट है. टाइगर्स लिप की ओर जाते समय लोनावला शहर एवं आस-पास का परिदृश्य मन को परमानंद दिलाता है. सुदूर दिखाई देनेवाली नागफणी की चोटी एवं अन्य पहाड़ियाँ, प्रकृति के सुंदर नज़ारे हमारे सम्मुख पेश कराती है. इस पॉइंट पर आने के बाद वर्षा ऋतु में आप स्वर्ग की अनुभूति करने लग जाते हैं. बादल रूपी धुंध की चादर तले सारा क्षेत्र छिप जाता है और तब थोड़ी-सी धुप आने से धुंध छंट जाने लगती है. अचानक सह्याद्री की सुंदर रचना पलकों पर छा जाती है. यह पहाड़ी टाइगर के लिप (होंठ) के समान दिख जाने के कारण इसे यह नाम पड़ा. यहाँ से खाई में एक पर्वत शिवलिंग के आकार का दिखाई देता है, इसलिए इसे ‘शिवलिंगी पॉइंट’ भी कहा जाता है. वर्षा ऋतू में यह परिसर अधिकतर बादलों की धुंध में खोया रहता है. यहाँ से खाई का लुभावना दृश्य बादलों के बीच–बीच से दिखाई देता है, तब पहाड़ियों से झरते झरने और सुंदर दिखाई देने लगते हैं. टाइगर्स लिप्स के आगे सहारा लेक सिटी, अम्बी वैली तथा कोराईगड किले तक पर्यटन का आनंद लूटने पर्यटक उमड़ पड़ते हैं.

नागफणी (ड्यूक नोज)

इस पॉइंट पर पहुँचने के लिए सिटी लेक से पहले ही दाईं ओर मुड़ना पड़ता है. इस सरोवर के किनारे-किनारे से नागफणी तक पहुँचा जा सकता है. इस चोटी के नाग के फण के आकार के समान दिखने के कारण इसे ‘नागफणी’ कहा जाता है. इस पर शिव जी का छोटासा मंदिर भी है. पुणे से मुंबई की ओर द्रुतगति राजमार्ग से जाते समय इस पॉइंट की भव्यता एवं उत्तुंगता को अच्छी तरह से भांपा जा सकता है. सह्याद्री की एक विशाल एवं ऊँची पर्वत चोटी आकाश को चीरती हुई ऊपर जाती हुई नज़र आती है. यह काफी भव्य एवं आकर्षक दिखाई देती है.  

राजमाची पॉइंट

लोनावला शहर के नजदीक मुंबई-पुणे पुराने राजमार्ग से मुंबई की ओर जाते समय यह स्थान रास्ते में नज़र आता है. यहाँ से राजमाची किले का सुंदर दृश्य दिख जाने के कारण इसे ‘राजमाची पॉइंट’ कहा जाता है. सह्याद्री की लंबी गहरी खाई और मुंबई-पुणे स्वर्णिम राजमार्ग का दृश्य एवं उस पर चलते वाहन मनुष्य की प्रकृति पर एक विजय के चमत्कार को बयाँ करते हैं. यहाँ बंदरों का तांता भी हमेशा लगा रहता है. 
राजमाची पॉइंट का विहंगम दृश्य
कार्ला की बौद्ध गुफाएँ एवं एकविरा माता का मंदिर
लोनावला से लगभग 11 किमी तथा पुणे से 59 किमी की दूरी पर पुराने पुणे-मुंबई राजमार्ग से पुणे की ओर जाते समय ‘कार्ला’ नामक गाँव से इन गुफाओं के लिए मुड़ना पड़ता है. असल में यह गुफाएँ वेहेरगाँव की सीमा में स्थित हैं, परंतु ‘कार्ला’ नामक स्थान के कारण  ही यह गुफा-समूह भारतभर में प्रसिद्ध है. ये गुफाएँ भारतीय वास्तु कला का बेजोड़ नमूना है. लगभग 2000 वर्षों पूर्व एक विशाल चट्टान को तराशकर इन गुफाओं का निर्माण कराया गया. इन गुफाओं में परिवर्तन का सिलसिला आगे इसवी सन की 7वीं सदी तक चलता रहा. यहाँ कुल 16 गुफाएँ हैं. 
विशाल चैत्यगृह, वेहेरगाँव (कार्ला के पास)
इन गुफाओं की विशालता एवं भव्यता किसी भी मनुष्य को आकर्षित किए बिना नहीं रहती. यहाँ का चैत्यगृह भारत का सबसे विशाल चैत्य माना जाता है. इनमें अनेक सुंदर शिल्प तथा ब्राह्मी लिपि के लेख उकेरे गए हैं, जो इन गुफाओं के निर्माण संबधित इतिहास को समेटे हुए हैं. 
स्तंभ एवं प्रवेशद्वार, कार्ला की गुफाएँ
दंपति या युगल, कार्ला की गुफा

             
इसी स्थान पर कोंकणवासियों की कुलदेवी ‘एकविरा माता’ का मंदिर भी बना हुआ है, जिस कारण से इस स्थान ने एक धार्मिक तीर्थ-क्षेत्र का रूप धारण कर लिया है. इस स्थान से इंद्रायणी नदी का कछार एवं सह्याद्री पर्वत का मनमोहक रूप दिखाई देता है. यहाँ से आगे लोहगढ़, विसापूर, तुंग, तिकोना, कोराईगड आदि किलों के दर्शन भी होते हैं. हर दिन हजारों की संख्या में भक्तगण एवं पर्यटक भ्रमण के लिए आते हैं.  

भाजा की गुफाएँ
‘मलवली’ नामक रेल स्टेशन पर उतरकर या फिर कार्ला गाँव से सड़क मार्ग से यहाँ पहुँचा जा सकता है. मलवली स्टेशन से लगभग 2 किमी की दूरी पर एक पहाड़ की ढलान पर यह गुफाएँ बनाई गई हैं. इन बौद्ध-गुफाओं का निर्माण ईसा पूर्व 2री शताब्दी का माना जाता है. ये भारत की प्रारंभिक बौद्ध गुफाओं में से एक मानी जाती है. इन गुफाओं की ओर जाते ही रास्ते में सुंदर जलप्रपात के दर्शन होते हैं, जो वर्षा ऋतू में किसी भी पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं. पर्यटक इसके नीचे नहाये बिना अपने आपको रोक नहीं पाते. इस पहाड़ी से आगे लोहगड एवं विसापूर किले के लिए रास्ता बना हुआ है.

लोहगड एवं विसापूर किले

महाराष्ट्र किलों की भूमि है. छत्रपति शिवाजी महाराज का इन किलों पर काफी समय तक वर्चस्व रहा. यहाँ से दिखाई देने वाले सुंदर मनोहर दृश्य हर किसी को आकर्षित कर लेते हैं. भाजा से बने इन किलों पर चढ़ाई के लिए बुलंद हौसलों की जरुरत है. 
लोहगड किला
लोहगडवाडी नामक गाँव तक पर्यटक अपने वाहनों को भी लेके जा सकते हैं. लोहगड किला एक मजबूत किला है. मध्यकालीन युग के बहुत से अवशेष जैसे- मंदिर, मस्जिद, कोठरियाँ, पाषण में कुरेदी पानी की टंकियाँ, शिलालेख, परकोट, बुर्ज, दरवाजें किले पर दिखाई देते हैं. 
लोहगड किले की वास्तु-रचना
इस किले पर ‘विंचू काँटा’ नामक एक स्थान हैं जो बिच्छू के डंक के समान प्रतीत होता है. किले के चारों ओर घने जंगल किले की सुंदरता को और बढ़ाते हैं. वर्षा ऋतू में किले पर पीले फूलों की चादर-सी फ़ैल जाती है, तब किले का विहंगम दृश्य दर्शकों को प्रकृति की जादुई दुनिया का सफ़र करवाता है. 

विंचू काटा, लोहगड

लोहगड किले पर फूलों की चादर
विसापूर किले की चढ़ाई थोड़ी-सी मुश्किल है. इस पर पहुँचने के लिए एक अच्छा गिर्यारोहक का होना अनिवार्य है. किले पर कुछ तोपें, मंदिर, हनुमान जी की प्रतिमा और कुछ दरवाजों के अवशेष दिखाई पड़ते हैं.   
विसापूर किले का सामान्य दृश्य
इन सभी स्थलों के अलावा खंडाला, माथेरान, कोंडाणा की बौद्ध गुफाएँ, ठाकुरवाड़ी की नागनाथ गुफा, वलवन डैम, देहु, पाटन की गुफा, भामचंद्र की गुफाएँ, पवना डैम, तुंग एवं तिकोना किले आदि दर्शनीय स्थलों के लिए भी लोनावला से जाया जा सकता है.

पवना डैम एवं पहाड़ियों का दृश्य