पुणे से
लगभग 34 किमी दूरी पर पर स्थित यह स्थान महान संत 'तुकाराम' के जीवन से जुड़ा हुआ
है. पुराने मुंबई-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग से तथा रेलगाड़ी से 'देहु रोड' नामक स्टेशन
पर उतरकर यहाँ पहुँचा जा सकता है. पुणे से हरदिन लोकल रेलगाड़ियों की सेवा उपलब्ध
है. पुणे तथा पिंपरी-चिंचवड महानगर निगम द्वारा बसों की सुविधा उपलब्ध है. जगद्गुरु तुकाराम महाराज के पावन-स्पर्श
से पुनीत हुई इस धरती पर पहुँचते ही मन उस विट्ठल-भक्त की महान भक्ति के प्रति
नतमस्तक हो जाता है. भारत के इस महान संत के अनेकों 'अभंग' (पद्य रचनाएँ) आज भी महाराष्ट्र के कोने-कोने में पूरी
श्रद्धा एवं भक्तिभाव से गाये जाते हैं. इन अभंगों का अनुवाद दुनिया की कई प्रमुख
भाषाओं में किया गया है.
संत तुकाराम, भामचंद्र गुफा |
गाथा मंदिर एवं इंद्रायणी नदी का दृश्य |
देहुगाँव से कुछ ही दूरी पर 'भंडारा डोंगर' (पहाड़ी) तथा 'भामचंद्र डोंगर' नामक स्थान हैं, जहाँ तुकाराम अपने भगवान विट्ठल जी का नामस्मरण करते रहते थें. भामचंद्र पहाड़ी पर मानव निर्मित मध्यकालीन गुफाएँ हैं, जिसमें से एक में तुकाराम महाराज का शिल्प भी है. इन गुफा-समूह के आस-पास कुछ समाधियाँ, शिलालेख तथा शिल्प भी बिखरे पड़े हैं. यहाँ की कुछ गुफाओं में वारकरी संप्रदाय के अनुयायी आज भी रहते हैं.
मध्यकालीन गुफा, भामचंद्र पहाड़ी |
माना जाता है कि 'घोरावडेश्वर' गुफाओं में भी संत तुकाराम ईश्वर-चिंतन करने आया करते थें.
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संत तुकाराम ध्यान गुफा, घोराडेश्वर |
युगपुरुष शिवाजी महाराज और संत तुकाराम महाराज के कारण
शक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम महाराष्ट्र में अवतरित हुआ. जहाँ आज एक ओर शिवाजी महाराज की गाथा देश को गौरव प्रदान कराती है, तो दूसरी ओर तुकाराम महाराज की भक्ति मानवता
का पाठ पढ़ाती है. स्वराज्य-स्थापना में शिवाजी महाराज को संत तुकाराम की आध्यात्मिक शक्ति
का भरपूर संबल मिला.
आषाढ़ी एकादशी की यात्रा के निमित्त देहुगाँव से सद्गुरु तुकाराम महाराज का
पुष्पों से सुसज्जित रथ हज़ारों भक्तगणों के साथ पंढरपुर के लिए रवाना हो जाता है.
यात्रा के दौरान संत तुकाराम के अभंग श्रद्धालुओं में नवचेतना को भर देते हैं
मानवता एवं पर्यावरण का संदेश देनेवाले महान संत को विश्व युगों-युगों तक याद रखेगा.
(देहु रोड
स्टेशन-7 किमी, आलंदी-15 किमी, चाकण-17 किमी, पुणे-28 किमी, लोनावला-48 किमी,
कार्ला की गुफाएँ-39 किमी, मुंबई-131 किमी)