महाराष्ट्र की महादेव
पहाड़ियों के एक विशाल शिखर पर महादेव का प्राचीन मंदिर है. यह धार्मिक स्थल सतारा जिले के 'माण' नामक तहसील में स्थित है. माना जाता है कि चैत
अष्टमी के दिन शिव-पार्वती का विवाह इसी स्थान पर संपन्न हुआ था. इस आधार पर
ग्रामवासी हरसाल इसी दिन शिव-पार्वती के विवाह का आयोजन करते हैं.
शंभू महादेव के मंदिर का सामान्य दृश्य |
शंभू महादेव मंदिर पर अंकित शिल्प |
ज्ञात
इतिहास से पता चलता है कि यादव राजा ‘सिंघण’ ने इस मंदिर का निर्माण किया था. आज का शिंगणापुर उस समय का ‘सिंघणपुर’ बताया जाता है.
यहाँ की पहाड़ी पर स्थित शम्भू महादेव के विशाल मंदिर में पहुँचने के लिए लगभग 180
मी ऊँची चढ़ाई करनी पड़ती है. मार्ग में ‘खडकेश्वर’ और ‘मांगोबा’ मंदिर के दर्शन
पाकर शिवाजी महाराज की प्रेरणा से बने महाद्वार तक हम पहुँच जाते हैं. मुख्य मंदिर
में प्रवेश करते ही सर्वप्रथम दीपमालाएँ नज़र आती हैं. मंदिर गर्भगृह, अंतराल,
सभामंड़प तथा नंदीमंडप से युक्त है. वर्तमान में स्थित यह मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से लगभग १७-१८वीं सदी में बनाया हुआ प्रतीत होता है. यहाँ शिव-पार्वती के स्वयंभू लिंग हैं.
हिरण के शिकार का दृश्य |
मुख्य मंदिर के पास ‘बलीराजा’ का मंदिर है. यह मंदिर मुख्य मंदिर की
छोटी प्रतिकृति ही लगता है. स्थापत्य एवं कला कि दृष्टि से यह मंदिर १२-१३वीं सदी का प्रतीत होता है. मंदिर अभी भी सुअवस्था में है. यह भूमिज शैली में निर्मित मंदिर वास्तुकला का एक सुंदर नमूना है.
बली मंदिर, शिखर-शिंगनापुर |
शिवरात्रि के अवसर पर यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता है.
महाराष्ट्र के कोने-कोने से हजारों भक्तगण पूरी श्रद्धा एवं ‘हर-हर महादेव’ का जयघोष करते
हुए अपनी कावड़ियों के साथ आते हैं.
शिंगणापुर के लिए पुणे, सतारा, फलटण तथा म्हसवड से बसों की सुविधा
है. प्राचीन काल से ही यह एक सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल रहा है. आस-पास का प्राकृतिक
दृश्य देखने लायक है.
(फलटण- 36 किमी, बारामती- 50 किमी, पंढरपुर- 83 किमी, सतारा-
85 किमी, दौंड- 94 किमी, जेजुरी- 99 किमी, कोल्हापुर- 160 किमी, पुणे- 151 किमी, तुलजापुर-
197 किमी)